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Jan 2024
जो सबसे सस्ता लगता है
वही था सेहत का खजाना

सुबह सर्दियों में अलाव जगाकर
बैठ अपनों संग बतियाना
सर्दी के बहाने वो खुले में
कुश्ती,माला देना
लगता इसमें कुछ नहीं था
पर था सेहत का खजाना।

गाय, भैंस , बकरी वाला
वह घर का भरा दालान
बरबस ही मन मोह लेता था
वो बछड़ों का रंभाना
शब्द नहीं होते थे ,पर हेत हृदय पहचाना
हाथ फेर स्नेह जताना
वही था सेहत का खजाना।

मोरों की आवाज सुनकर
वह वर्षा का अनुमान लगाना
खाने से पहले नहा धोकर
पाव चुग्गा बरसाना
पूरे दिन पक्षियों का कलरव सुन
वह हृदय का हरसाना
लगता इसमें कुछ नहीं था
पर था सेहत का खजाना।

मिट्टी के बर्तन से घी-दूध
मिट्टी के बर्तन में लेकर
बैठ रेत में सुबह-सुबह ही गटकना
ना खांसी, ना एलर्जी,ना शरीर का लाल होना
इतने मस्त मलंग थे
बैठ जमीन पर ही नहाना
लगता इसमें कुछ नहीं था
पर था सेहत का खजाना।

सूरज की धूप सेंक कर
दोपहर सर्दियों में ओढ़ कम्बल सो जाना
सोचता हूं यही था
पूरे साल‌‌ की इम्यूनिटी का खजाना
लगता इसमें कुछ नहीं था
पर था सेहत का खजाना।

मकान चाहे कच्चे थे
उसूल बड़े पक्के थे
बिन रोटी लायक काम के
कोई पड़े -पड़े नहीं खाते थे
सरकारों की योजनाओं का
कभी मुंह नहीं ताकते थे
खुद ही बुनकर‌, खुद सील कर
मोटा कपड़ा पहनते थे
पगड़ी पहन ठसक से रहना
वाह रे वाह क्या कहना
लगता इसमें कुछ नहीं था
पर था सेहत का खजाना।
Mohan Sardarshahari
Written by
Mohan Sardarshahari  56/M/India
(56/M/India)   
72
 
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