Hello Poetry
Classics
Words
Blog
F.A.Q.
About
Contact
Guidelines
© 2024 HePo
by
Eliot
Submit your work, meet writers and drop the ads.
Become a member
Armin Dutia Motashaw
Poems
Jun 2023
ओ विधाता
ओ विधाता,
हे भगवान, या अल्लाह, ओ खुदा, पूरे जग के, इस श्रृष्टि के मालिक, जो भी हो तेरा नाम
बिनती है, याचना है तुझसे दाता, बस करना तू इंसानियत के नाते, हमारा यह छोटा सा काम;
हाये रे किस्मत,किसे सुनाएं, कहां जाके सुनाए, हम इस टूटे हुए दिल के दुखड़े;
मंत्रीयो ने, तंत्रीओ ने, मौलवी, पंडितों ने, कर दिए है इंसानियत के छोटे छोटे टुकड़े ।
जल जाता है दिल, उदास हो जाती है आत्मा, जब देखती हूं, आम लोगोके रोते हुए मुखड़े ।
Armin Dutia Motashaw
Written by
Armin Dutia Motashaw
Follow
😀
😂
😍
😊
😌
🤯
🤓
💪
🤔
😕
😨
🤤
🙁
😢
😭
🤬
0
236
Melancholy of Innocence
Please
log in
to view and add comments on poems