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Mar 2023
मेरे सीने में एक बात अटकी थी
मेरे लिए वो कितनो से ही लड़ी थी
आज जब मेरे और औलाद के बीच
दो राहे पर खड़ी थी
बड़ी लड़खड़ा सी गई थी
मैं कुछ कहने की स्थिति में नहीं था
वो सुनकर भी क्या करती
बर्फ़ की सिल्ली सी हम दोनों
के सीने पर पड़ी थी
कहना था तेरा कोई दोष नहीं
वक्त का तकाजा है
पर शब्द जवाब दे गये
बस ये बात सीने में अटकी थी।।
Mohan Jaipuri
Written by
Mohan Jaipuri  60/M/India
(60/M/India)   
199
 
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