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Feb 2023
धूप हो या छांव
तेरा नाम सुबह सांय

तपते रेगिस्तान में
तेरी याद है संबल
जब तू चलती है
लगती नदी चंबल

अरावली की पहाड़ियां
लगती तेरा आंचल
हाड़ौती ‌की तरह
तुझमें है हलचल

मैं सूखा रेगिस्तान
कभी कर रूख इधर
तेरी ‌संगत मिले तो  पीछे
छोड़ देंगे पंजाब और ईडर ।।
Mohan Sardarshahari
Written by
Mohan Sardarshahari  56/M/India
(56/M/India)   
120
 
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