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Dec 2022
ना माथे पर शिकन कोई,
ना रूह में कोई भय है,
ना दहशत हीं फैली ,
ना हिंसा परलय है
हादसा हुआ तो है,
लहू भी बहा मगर,
खबर भी बन जाए,
अभी ना तय है,
माहौल भी नरम है,
अफवाह ना गरम है,
आवाम में अमन है,
कोई रोष ना भरम है,
बिखरा नहीं चमन है ,
अभी आंख तो नरम है
थोड़ी बात तो बढ़ जाए,
थोड़ी आग तो लग जाए,
रहने दो खबर बाकी,
रहने दो असर बाकी,
लोहा जो कुछ गरम हो,
असर तभी चरम हो,
ठहरो कि कुछ पतन हो ,
कुछ राख में वतन हो,
अभी खाक क्या मिलेगा,
खबर में कुछ भी दम हो,
अखबार में आ जाए,
अभी ना समय है,
सही ना समय है,
सही ना समय है।

अजय अमिताभ सुमन
ajay amitabh suman
Written by
ajay amitabh suman  40/M/Delhi, India
(40/M/Delhi, India)   
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