यह दीवाली आई निराली हुई दो घटनाएं ना भूलने वाली एक में बल्लेबाजी ऐसी चली पड़ोसियों की उड़ा दी खिल्ली तब दीवाली 'विराट' हो चली। दूजी में गोरों के देश में ऋषि सुनक को कमान मिली अंग्रेजों के दास रहे कभी आज उनके सरताज हुए भारतीयता के समय दर्शन के आज वो मोहताज हुए वक्त का तकाजा है गोरों के तख्त एक भारतीवंश विराजा है।।