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Mohan Jaipuri
Poems
Jul 2022
सावन तीज
सावन तीज सबसे न्यारी
हरियाली से भरी सब क्यारी
झूले पेड़ों पर जब डलते
मन के सपनों को पंख लगते
रिमझिम बारिश की आवाज
पुकारे वर्षा नहाने को ।
धरती अंबर का देख प्यार
सूर्य किरणें बनाती इन्द्रधनुष
नीचे भीगी धरती की महक
बाहर मोर- पपीहों की चहक
लिपटी देख बेल पेड़ों से
ललचाये मन आलिंगन को ।
करें गोरियां सोलह श्रृंगार
लगती हर एक गोकुल की नार
सहेलियों की हंसी ठिठोली
देती प्यार के गहन संदेश
नदियों का उफान देख
भूले मन हर लाज को ।
Written by
Mohan Jaipuri
60/M/India
(60/M/India)
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