Submit your work, meet writers and drop the ads. Become a member
Jul 2022
पुकार

खोल दे हे प्रभु मेरा अंतर्मन, सुन ले मेरी दर्दभरी पुकार;

दुख अब सहा नही जाता,  स्वीकार ली है मैने अपनी हार ;

सहनशक्ति हो रही है क्षीण, तड़पु मैं, जैसे तड़पे जल बिन मीन

शक्ति दे मुझे प्रभु, हुँ  मैं घायल; कर दे मुझे तेरी भक्तिमे लीन ।

मार्गदर्शन नित्य हो तेरा, तेरे प्रेमभरे हाथोंमें, सदा हाथ हो मेरा

उस पथ पे चलुं, जो बनाया है तुझने; हर घड़ी, हरदम रहे सहारा तेरा !

दिल मेरा है परेशान; आत्मा है अशांत, दिखा मुझे वो शांति की राह;

चारों ओर हो असीम शांति, कभी न सुनाई दे किसीकी, या मेरी भी कोई आह

हे प्रभु! अब तो तुंही है सहारा, तू ही कृपालु, तुंही मेरा है बेली

भले दुनियां हो एक भरा हुआ मेला ; पर हो गई हूं मैं, इस पूरी दुनिया में अकेली

कर कृपा ओ दीनदयालु ! हे कृपालु ! ओ सारे जग के स्वामी, हे अंतरयामी

सुन ले इस दिल की आह मेरी पुकार, देख ले मेरी तड़प, भर दे तेरी हामी ।

Armin Dutia Motashaw
65
   Salmabanu Hatim
Please log in to view and add comments on poems