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Armin Dutia Motashaw
Poems
Jul 2022
पुकार
पुकार
खोल दे हे प्रभु मेरा अंतर्मन, सुन ले मेरी दर्दभरी पुकार;
दुख अब सहा नही जाता, स्वीकार ली है मैने अपनी हार ;
सहनशक्ति हो रही है क्षीण, तड़पु मैं, जैसे तड़पे जल बिन मीन
शक्ति दे मुझे प्रभु, हुँ मैं घायल; कर दे मुझे तेरी भक्तिमे लीन ।
मार्गदर्शन नित्य हो तेरा, तेरे प्रेमभरे हाथोंमें, सदा हाथ हो मेरा
उस पथ पे चलुं, जो बनाया है तुझने; हर घड़ी, हरदम रहे सहारा तेरा !
दिल मेरा है परेशान; आत्मा है अशांत, दिखा मुझे वो शांति की राह;
चारों ओर हो असीम शांति, कभी न सुनाई दे किसीकी, या मेरी भी कोई आह
हे प्रभु! अब तो तुंही है सहारा, तू ही कृपालु, तुंही मेरा है बेली
भले दुनियां हो एक भरा हुआ मेला ; पर हो गई हूं मैं, इस पूरी दुनिया में अकेली
कर कृपा ओ दीनदयालु ! हे कृपालु ! ओ सारे जग के स्वामी, हे अंतरयामी
सुन ले इस दिल की आह मेरी पुकार, देख ले मेरी तड़प, भर दे तेरी हामी ।
Armin Dutia Motashaw
Written by
Armin Dutia Motashaw
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