Submit your work, meet writers and drop the ads. Become a member
Feb 2022
तू गया

तू गया, गया संग, मेरे दिलका करार

तू गया, तो गए तुझ संग सब साजसिंगार

तू गया तो रूठे मुझसे मेरे गीत संगीत

यह तूने क्या किया, ओ मेरे मनमीत ???

जानेवाले के संग कोई जा नहीं सकता

मौत के साथ कोई लड़ नहीं सकता

इंसान भगवानके सामने हो जाता है मजबूर

लोक भी बदल जाते है; हो जाते है दूर

रोने के लिए अब कंधा भी नहीं मिलता

रिश्तेदार कतराते हैं; सच्चा रंग अब है खिलता

फितरत बदलने लगती है, अब हम लगते हैं बोझ

इतने सारे लोगों में, मिल जाते है एक दो दिलसोज़

यही है जमानेकी रीत, जिंदा रहनेवाला मरता है तिल तिल

बस अब यही है तुम्हारी नई मंज़िल

Armin Dutia Motashaw
  145
   Khaab and Melancholy of Innocence
Please log in to view and add comments on poems