Submit your work, meet writers and drop the ads. Become a member
Feb 2022
एक झप्पी में चैन मिले
एक झप्पी में नैना सरसे
एक झप्पी में भूलूं‌‌ गम
एक झप्पी में छू लूं अम्बर।

एक झप्पी को तरसे मन
एक झप्पी से‌ खिले तन
कोई ऐसा साथी मिले तो
ले लूं झप्पी भूल आडम्बर।

एक झप्पी से लगे ऐसा
जैसे कि मिल गया हो रब
कभी तो आये ऐसी शब
जिसमें मिल जाये रहबर।।
Mohan Sardarshahari
Written by
Mohan Sardarshahari  56/M/India
(56/M/India)   
  238
   Khaab
Please log in to view and add comments on poems