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Jan 2022
लाल जर्सी
स्लेटी जींस
लाल एक्टिवा चढ़ती है
काली घटा सी जुल्फें जिसकी
कान चंद्र झूमर लटके हैं
शुक जैसी तीखी नाक
बोली जिसकी है‌ बेबाक
होंठ अंगारे हैं करारे
नाजुक-नाजुक शब्द‌ उच्चारे
तेरे नाजो- नखरों पर
जाने कितने दिल हैं‌ हारे
ऊंचाई तेरी एफिल टावर
देख लगे सुहाना‌ शावर
गोगल्स की शान निराली
देख लगे मधु की प्याली
पर देख तेरे एंकल बूट
नजदीकि बढाने का
साहस जाये टूट- टूट।।
Mohan Jaipuri
Written by
Mohan Jaipuri  60/M/India
(60/M/India)   
  194
   SUDHANSHU KUMAR
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