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Jan 2022
खुली - खुली जुल्फें
कंधों को ओढ़ाई
बाजूओं की शोभा
कंगन‌ हीरा जड़ाई
आसमानी ‌फ्राक सूट
हाथ गुलाब सजाई
देख तेरी ये अदायें
फरवरी याद आई।।

ना गोपी तू मथुरा की
ना मैं किशन कन्हाई
फोटो में भी देख परछाई
जब तू दो - दो नजर आई
मैं गुमराह हूं ये शक‌‌ हुआ
देख फागुन की अगुआई।।

आंखों में कुछ सपने
कुछ हकीकत छाई
लब सीले हैं तेरे
देख वक्त की कड़ाई
आशाओं के तरकश से
कोई तीर निशाने लग जाई।।
Mohan Jaipuri
Written by
Mohan Jaipuri  60/M/India
(60/M/India)   
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