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Jan 2022
यह दक्षिणी तेज हवाएं
बादलों से घिरा हुआ आकाश
पेड़ों का हवा के कारण
एक दूसरे पर गिरना
यह माघ का ठंडा दिन
यह शनिवार की छुट्टी
पीली टोपी में तेरा
वो सुनहरा सा चेहरा
आंखों में चमक झकाश
देखना तेरा मुझे
जैसे मैं हूं कोई कांच
कर देता है मेरे
विवेक की छुट्टी
लगता है दिन कहता है
आज कह लो जो
कुछ है कहना
वरना शमां ने तो है बुझना
तुम्हारे हिस्से रहेगा कुढ़ना।।
Mohan Jaipuri
Written by
Mohan Jaipuri  60/M/India
(60/M/India)   
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