बिखरे बिखरे से कुछ अल्फाज हैं टूटे टूटे से कुछ ख़्वाब हैं अंतरमन अब बेचैन सा हैं हुए ख़्वाब आहत से हैं दिल में लगा घाव सा हैं बिखरे बिखरे से कुछ अल्फाज हैं टूटे टूटे से कुछ ख़्वाब हैं संघर्ष करना बना मुस्किल सा हैं आसान राह की तलाश भी ना खतम होता सा हैं डरा डरा सा अब मन रहता हैं होटों की हसीं भी अब कही छुपा सा हैं कहीं गम के सागर है तो कही सुख के लहर हैं किसी के सपने हुए राख से हैं तो किसी ने नई सपनों की छवि बनाई हैं सुन के बात यह नई दिल में आई कोई आश सी हैं बिखरे अल्फाजो के सागर कोई नए सपने बुनने के कोई ख़्वाब से हैं