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Mar 2021
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बिछड़ते हुए,
जो मांगी उन्होंने एक आखिरी मुस्कान,
आंसू उमड़ पड़े सैलाब बन के,

जिनके दीदार भर से गुज़र जाते थे दिन और रातें,
उन्हीं से दूर होते हुए हम कंगाल हो निकले,

इतने तंग दिल मेरे हालात हो गए,
यादों पर शक और सबूतों की ख़ाक भी मेरे पास न थे,

जब अब याद करना जो चाहें वोह जज़्बात,वोह ज़माना कभी,
बस कुछ दीवारें खोखली सी, कुछ हवाऐं सन सनाती सी थीं,

कुछ उनकी आवाज़ की बेरुखी,
कुछ हमारी पायल की खनक भर ही थी,

ना इल्म ही रहा हमें बिछड़े इश्क की यादों का,
जो कभी इन्हीं गलियों में रोशन हुआ करता था,

कभी यादों पर कभी हकीक़त पर शक हो उठता है,

बूडापे की दहलीज पे जनाब,
शायद सब अब खयाली ख़वाब का माजरा भर लगता है।


Sparkle In Wisdom
Sparkle in Wisdom
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Sparkle in Wisdom  43/F/West Africa
(43/F/West Africa)   
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