Hello Poetry
Classics
Words
Blog
F.A.Q.
About
Contact
Guidelines
© 2024 HePo
by
Eliot
Submit your work, meet writers and drop the ads.
Become a member
RAFIQ PASHA
Poems
Feb 2021
इत्तिफ़ाक़
हमारा पहुँचना क़ब्रिस्तान महस था एक इत्तिफ़ाक़
देखा मुतवफफी लहद में लेटे थे छोड़कर आफ़ाक़
आसमान में डूबते सूरज कि बिखरती लाली ये कहे
परिंदे लौट आए अपने घोसले भूलकर सब निफाक़
चारो ओर उदासी छाई हूवी थी, चहरे थे फ़िक्री
जानेवालो कि सिफ्र रहजाएगी यादो के औराक़
करोना का अजीब दौर था जब मौत होगई थी सस्ती
सारी आवाम सब्र का घूँट पीकर, तस्लीम किए फ़िराक
मरज़ हो जाए ख़त्म ओर नया इलाज होग़ा ईजाद
तभी तो इन्सान पाएगा अमन और विफाक़
Written by
RAFIQ PASHA
Follow
😀
😂
😍
😊
😌
🤯
🤓
💪
🤔
😕
😨
🤤
🙁
😢
😭
🤬
0
270
Dharatal
Please
log in
to view and add comments on poems