एक अनूठा त्योहार पतंगों की बहार छतें हो गई आज संसार तिल और गुड़ का उपहार बंद दरवाजों में घुटते मन के लिए धूप और ताजगी भरी हवा की नई हुंकार पतंगों की उड़ान से सबके जीवन में नई उमंगों का है संचार फिर भी हैं किसान बेजार और खेत हैं बिन कामगार अरे !पतंग तुझसे है एक गुहार धरती पर कोई सुने ना सुने तू आकाश पर पहुंचा दे इन की पुकार जहां पर गांधी शायद इनका दर्द ले ले उधार।।