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Jan 2021
एक अनूठा त्योहार
पतंगों की बहार
छतें हो गई आज संसार
तिल और गुड़ का उपहार
बंद दरवाजों में घुटते
मन के लिए धूप
और ताजगी भरी हवा
की नई हुंकार
पतंगों की उड़ान से
सबके जीवन में
नई उमंगों का है संचार
फिर भी हैं किसान बेजार
और खेत हैं बिन कामगार
अरे !पतंग तुझसे है एक गुहार
धरती पर कोई सुने ना सुने
तू आकाश पर पहुंचा दे
इन की पुकार
जहां पर गांधी शायद
इनका दर्द ले ले उधार।।
Mohan Jaipuri
Written by
Mohan Jaipuri  60/M/India
(60/M/India)   
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