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Jan 2021
मेरे आंसू खुशियों की स्मृतियों के प्रतिबिंब हैं
मेरी जिंदगी संघर्षों की दास्तान का आलम है।

मैंने जिंदगी को श्रम और इमानदारी से खींचा है
अगले और पिछले रिश्तों को रूह गलाकर सींचा है

मेरी बातों में आहों से ज्यादा गौरव की उर्जा है
गुजरे लम्हों की रौनक का सजदा है
अब मैं वह सपनों का सौदागर हूं
जिस का काफिला बिखरा है।

अपनों पर विश्वास ने मुझको छला है
ज्यों जूतों में ही पैर गला है
मैं खुद अब वह किताब हूं
जो जिल्द को बेताब है।

मैं जिंदगी के पायदान सीढी दर सीढी चढ़ा हूं
फिर एक फरिश्ता जीवन में आया
उड़ा फरिश्ता ,खाली घरौंदा
जो बचा उसको रिश्तों ने रौंदा
अब मैं एक नजीर हूं जिसको
ना कोई पेश करता है ,ना कोई सुनता है।।
Mohan Jaipuri
Written by
Mohan Jaipuri  60/M/India
(60/M/India)   
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