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Dec 2020
रोज साझा करते हैं
बातें भौतिकता वाली
चलो आज एक दिन
करें बातें कर्मों के सार वाली।

     जब - जब मिलते हैं
     और जो - जो मिलते हैं
     बातें सिर्फ करते हैं
      'मैं' हूं वाली
गीता के प्रकाश में चलो आज
जलाएं इस 'मैं' की होली।

   हमारे शरीर के साथ-साथ इस जहां में
   हम ठिकाना पहले से ही तैयार पाते हैं
    लेकिन यह बात हम
    समझ कब पाते हैं?
गीता के प्रकाश में चलो आज
ढूंढते हैं इस रहस्य की खोली।

     ऐसे लुट रही है जिंदगी
    और हम अनजान बनकर बैठे हैं
    सच तो यह है कि हम व्यर्थ
    इच्छाओं की गठरी लेकर ऐंठे हैं।
आओ गीता के ज्ञान से
इन इच्छाओं की गठरी को कीलें।
Mohan Jaipuri
Written by
Mohan Jaipuri  60/M/India
(60/M/India)   
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   Eshwara Prasad
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