बोर्डर कहता मुझ पर कभी ठहरना मत वरना होगा विप्लव घर के बॉर्डर नजरें जो ठहरे तब पड़ोसियों में उपद्रव।
देश के बोर्डर सेना टिके तब मानवता घुटने टेके राजधानी बॉर्डर किसान डटे तब अर्थशास्त्र कोने में सिमटे साड़ी बॉर्डर नजरें टिके तो समझो पांचो पांडव बिके सदा करो बॉर्डर का सम्मान इसमें है सबका कल्याण।।