Submit your work, meet writers and drop the ads. Become a member
Dec 2020
उतार आए हैं सिर से
सारे ही बोझ
बैठे हैं सीमा पर चाहे
पुलिस आये या फौज।
       कभी मौसम ने लूटा
       कभी महामारी
       हम सहते रहे
        सारी दुश्वारी
दु:खों की कतार
हमने देखी है रोज।
       अस्तित्व कुछ होता है
       यह हमें ना मालूम
‌        सभी हमें छलते हैं
      हमें पहचान की ना तालीम
धरती से ही जुड़े हैं
बस यही एक मौज।
       हमें किसी से अपेक्षा नहीं
       फिर भी यह कैसी जबरदस्ती
       कृषि सुधार का टोकरा
    लेकर आ गया राज रूपी हस्ति
      सांसे हो गई महंगी गर्दन है सस्ती
अब तो भूल चुके हैं
करना अपनी ही खोज।
Farmers agitation in India.
Mohan Jaipuri
Written by
Mohan Jaipuri  60/M/India
(60/M/India)   
  69
 
Please log in to view and add comments on poems