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Mohan Sardarshahari
Poems
Oct 2020
चौरासी के गबरू
अक्टूबर मीट में आ गए हैं
चौरासी के गबरू।।
सांसे हैं महकी सी
फिजां है बहकी सी
उछल कूद मचा रहे हैं
जज्बातों के पखेरू।।
स्वप्न सी इस संध्या में
धूम मचाए वारुणी
ज्यों ज्यों हलक उतरती जाए
बनती जाए रागिनी।
सहज ही संगीत पनप रहे हैं
बिन पायल बिन घुंघरु।।
अक्टूबर मीट में आ गए हैं
चौरासी के गबरू।।
October zooms when winter booms.
Written by
Mohan Sardarshahari
56/M/India
(56/M/India)
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