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Oct 2020
इस कदर मुहब्बत हो गई है हमे अपने अकेलेपन से, की अपनी परछाई से भी छिपने के लिए आड़ ढूंढ़ते रहते है.
ढूंढ़ती रही में एक कोना जहा कुछ देर  सकू, लेकिन मेरी  परछाई  वहां भी साथ आ गई.
साथ आ गई तो ठीक है , साथ ले आई मेरा वजूद, मेरी पहचान, और वो नियम जिनसे में भागना चाहती थी,
और ले आई साथ वो नाम जो मेरे प्यार का दुश्मन है।
मेरा प्यार, वो अकेलापन जिसे ढून्ढ रही थी में हर जगह और जब मौका मिला की कुछ देर रो कर गुजार लू में उसके साथ,
तो मेरी परछाई साथ आ गई.
Hawa
Written by
Hawa  26/F
(26/F)   
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