लाल फूल व हरी पत्तियों वाला सूट जिसका है आंगन काला रेगिस्तान हरियाला लगे जब पहने इसको कंचन वर्ण बाला उस पर हरियाली चुनर और मुस्कान का हुनर निराला आंखें तुझ पर अटक गई तू ये कैसा जादू कर गई।
मुश्किल तो तब बढी जब देखे कंगन लाल खनक इनकी सुन ना पाये हम रह गए कंगाल मन में आया अब बाली बन तेरे कानों में लटक जाऊं कंगन की खनक में हर संगीत का आनंद पाऊं आंखें कानों पर अटक गई तू यह कैसा जादू कर गई।
मैं मन भर लिखता हूं तुम सब पढ़ लेती हो तुम रत्ती भर लिखती हो मैं कैसे पढूं तुम्हें इसलिए मेरी आंखें तुम्हारा आईना बन गई और तुम पर ही अटक गई तू यह कैसा जादू कर गई।