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Jun 2020
पवन तू मेरा संदेशा
उस कजरारे नैनों वाली से कहना
नगर से दूर एक मरुद्यान में
हम उनकी नेट पर बाट जोहते
जोहते- जोहते आंख लगे तो
सपनों में भी तुमको पाते
यही मनोदशा है जब से देखा
क्यों हो गया यह दिल बेगाना
पवन तू मेरा संदेशा
उस कजरारे नैनों वाली से कहना

कूलर की ठंडी बयार में भी
उनके होठों की मुस्कुराहट की
याद बेचैन कर जाती है
मोबाइल के हर नोटिफिकेशन पर
बेसब्री अचानक दस्तक दे जाती है
सुबह से यही हाल है
जैसे किसी ने लूटा हो चैना
पवन तू मेरा संदेशा
उस कजरारे नैनों वाली से कहना

दूर कहीं जब कोयल बोले
दौड़ कर उसके पास जाते
तुम्हारे खुले बालों की तारीफ में
उसे कई कसीदे सुनाते
यही क्रम उनका चल रहा है
कभी दौड़ना कभी बहकना
पवन तू मेरा संदेशा
उस कजरारे नैनों वाली से कहना

खाली घर प्रतिध्वनि करता
उनकी यह व्यथा सुन
जल्दी से संपर्क जोड़ो
पल भर कर लो गुन गुन गुन
तुम्हारी तत्परता पर निर्भर है
उनका यह जीवन बेगाना
पवन तू मेरा संदेशा
उस कजरारे नैनों वाली से कहना
Mohan Jaipuri
Written by
Mohan Jaipuri  60/M/India
(60/M/India)   
29
 
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