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Dec 2019
अब मिलती है
व्हाट्सएप समूहों पर
नित नई फोटो विस्मयकारी
जैसे कोई ख्वाब हो चमत्कारी
और पाते हैं हर सुबह नई
                         तरुणाई
दोस्तों की पोस्ट
देख खुलती है मेरी आंखें
पढ़ कर यूं लगता है
जैसे कोई व्यंजन परोसा हो
                          मुगलाई
कहां है अब
दादा-बाबा की बिस्तर कथा
सिर्फ व्हाट्सएप समूहों में ही
खुलती है अब कोई छिपी व्यथा
यहीं पाते हैं  रिश्तों की आभासी
                              गरमाई
अब फ्लैटों में नहीं
आंगन वाली वो छाया
ना संयुक्त परिवार वाली
सुरक्षा की छत्रछाया
व्हाट्सएप समूहों पर बस है
'शेयर' करने वाली ही माया
जिससे होती है थोड़ी
              समय गुजराई।
Mohan Jaipuri
Written by
Mohan Jaipuri  60/M/India
(60/M/India)   
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   Mark Toney
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