खो सी गई हूं कहीं अपने आप को ज़ाहिर नहीं करना चाहती पर ज़ाहिर किए जा रही हूं खुद का संयम जैसे खो सा दिया है खुद से हि खफा रहती हूं ऐसा नहीं कि पहले खफा न थी खुद से पर अब तो कभी दील्फेक,तो कभी उग्र तो कभी क्या ही होके घूम रही हूं समझ रही हूं ठोकर लग सकती है,इसलिए तो थोड़ा संभालने की कोशिश भी कर रही हूं दूसरो का सहारा और लत दोनों छोड़ने की हीमाकत करती हूं चलो एक कोशिश ही करती हूं खुद को सुधारने की खुद से खुद को मिलाने की कुछ लोगो कि उम्मीदो पर खड़ा उतरने की और कुछ की उम्मीद तोड़ने की...