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Sep 2019
खो सी गई हूं कहीं
अपने आप को ज़ाहिर नहीं करना चाहती
पर ज़ाहिर किए जा रही हूं
खुद का संयम जैसे खो सा दिया है
खुद से हि खफा रहती हूं
ऐसा नहीं कि पहले खफा न थी खुद से
पर अब तो कभी दील्फेक,तो कभी उग्र
तो कभी क्या ही  होके घूम रही हूं
समझ रही हूं
ठोकर लग सकती है,इसलिए तो
थोड़ा संभालने की कोशिश भी कर रही हूं
दूसरो का सहारा और लत दोनों
छोड़ने की हीमाकत करती हूं
चलो एक कोशिश ही करती हूं
खुद को सुधारने की
खुद से खुद को मिलाने की
कुछ लोगो कि उम्मीदो पर खड़ा उतरने की
और कुछ की उम्मीद तोड़ने की...
Written by
Rashmi
  175
   Sourodeep
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