Submit your work, meet writers and drop the ads. Become a member
Sep 2019
काला साया

एक काला साया प्रवेश कर गया, उसके हसते खेलते घरमे ।

पता नहीं चला किसीको तब, क्यों की था वो एक दुल्हन के बेस् में

उस बेटे के लिए तो यह कहावत सच निकली; "शादी या बरबादी"

बस कुछ दिनों में ही छीन गई उस हसते खेलते घरकी आबादी ।

दूल्हे को पूरे वश में कर लिया; फिर आयी देवरों  की बारी ।

ननंद और सास को पहले अलग कर दिया पती से;
बारी बारी;

फिर देवरों पे लगाया निशान; कोशिश रही लगातार जारी ।

कुछ सालोमें, पती को बना दिया गुलाम; हार बिचारे ने मानी

सब हार गए, बिल्कुल अकेला बिचारा हो गया, नगरी थी अनजानी

दूर कहीं जा के खो गया;  मां ने प्राण त्यागे, बहन राखी न बांध पाई ।

काले साये ने उनकी हसी खुशी सब छीन ली; संग उसके वो कालिख लाई ।

दुल्हन के रुप में, खुशी खुशी आया; और फिर, सिर्फ दर्द लाया ।

दुआ कीजिए, कभी कोई घर में आए न ऐसा काला साया ।

Armin Dutia Motashaw
295
   Traveler
Please log in to view and add comments on poems