सामान का तो एक बार हिसाब लगा भी लेंगे, उन जज़्बातों का क्या जो बाढ़ में तबाह हो गए।
कितने पुराने किस्से थे जो स्याह से सफा हो गए, उन खतों का क्या को बाढ़ में सफेद हो गए।
लोग रो रहे हैं अपना बसेरा लुटा के। हम तो अपन अपना घरौंदा बरसों पहले बिखेर आए थे,
किताबी रिश्ते निभा रहे हैं मुद्दातों से, अपना सब कुछ तो पहले ही लुटा आए थे।
जिम्मेदारियों के बोझ में ऐसे फंसे थे, यादों को याद करने का वक्त ही नहीं रहा।
आज पूरा शहर पानी में डूबा है, लोग रो रहे है लुट जाने के सदमे से।
उजड़ उनके नग्मे, ग़ज़लें, खतों का पिटारा गया है, अश्कों का सैलाब हमारा अब उमड़ा है,
बरसों पहले बिखरे रिश्तों को जल समाधि आज मिली है, उमर के उस हिस्से के लिए खुल के रोने की आज़ादी आज मिली है।
Sparkle In Wisdom 2/8/2019
#Floods
The loss of long stored things, old clothes of loved one, old letters, first dress of baby, first toy... Etc... Loses like these are painful, very hurting, compared to loss of valuable items from the house flooded with water in monsoon.