सावन महीना ऐसे आए जैसे किशोरावस्था कहने में महीना है पर है अलग व्यवस्था कल तक जो सूखा था आज हो गया सरस कल तक सब निराशा थी आज चारों और है हर्ष।
सावन की घटायें जैसे किसी तरूणी के बिखरे केशु सावन की फुहारें जैसे प्रबल भावनाओं की हिलोरें सावन की बयार जैसे प्रेयसी का इकरार सावन में शिव आराधना जैसे कोई प्रेम गीत लिखना सावन के मेले जैसे मन के उजाले सावन की शीतलता जैसे पहले प्यार की पवित्रता सावन में गर्जन जैसे मन की फिसलन सावन का सौंदर्य जैसे किसी तरुणी का कौमार्य।
सावन में सब ओर सृजन है सावन उत्थान का नाम है सावन साधना का महिना है सावन शिव को प्रिय है शिव सदा अटल है अत: सावन प्रकृति की अखंडता का प्रतीक है।