यह बागड़ की बारानी खेती मुश्किल मानसून की बारिश होती उस पर औकड़ हवा का प्रहार कर दे सब जोत बेहाल कहीं छूटे हल कहीं छूटे हाल
मानसून पर किसान खेत पहुंचे औकड़ चलते ही पैर वापस खींचे प्रचंड औकड़ तीन दिन चल जाए मानसून फिर फल न पाए जवान हो या बच्चे बूढ़े सभी हो जाएं टेढे - टेढे औकड़ से हैं खेत बेहाल कहीं छूटे हल कहीं छूटे हाल
औकड़ शायद नाम है इसका क्योंकि सारा जीवन पीछे खिसका जो कुछ अब तक पास था मानसून में उसको जमीन में गाड़ा आई औकड़ और उसे उखाड़ा यह ना छोड़े धोरा और ना ही ताल कहीं छूटे हल कहीं छूटे हाल
औकड़ से डर मैं शहर भागा यहां भी महसूस करूं ठगा ठगा औकड़ चलने पर ना कोई सगा औकड़ बारानी खेती का बड़ा दगा औकड़ सुखा नमी करे बेहाल कहीं छूटे हल कहीं छूटे हाल।
Aukad is a disastrous wind flowing from west to east which distroys the crop in the thar desert part called "Baagad" including churu,bikaner,nagaur, SriGanganagar districts.