Hello P'try
Classics
Words
Blog
F.A.Q.
About
Contact
Guidelines
© 2025 HePo
by
Eliot
Submit your work, meet writers and drop the ads.
Become a member
Ankit Dubey
Poems
May 2019
वहि हो तुम
जैसे भर देती है
पतझड़ के बाद
सुखी टहनियों में
फुहारें नयी उमंग,
मेरे जीवन की
वही बारिश हो तुम..
जैसे साध लेती है
सुर गिरने के बाद
तान, कोई मीठी धुन
मेरे जीवन की
वही सरगम हो तुम..
जैसे लौट आने पर
भँवरों के
फ़ूलों में उमड़ता है
बेहिसाब मकरन्द,
मेरे जीवन की
वही सुगन्ध हो तुम.
जैसे जिन्दगी
बढ़ जाती है
घरौंदों की
शाम होते ही
परिन्दों के लौट
आने के बाद,
मेरे जीवन की
वही हक़ीक़त हो तुम..
जैसे खिल जाती है
कलियाँ
भोर की पहली
किरण की छुअन भर से,
मेरे जीवन की
वही ज़रूरत हो तुम..
जैसे रेगिस्तान की
तपती दोपहर को
मिल गया हो
किसी नदी का सहारा,
मेरे जीवन का
वही किनारा हो तुम..
जैसे अंधेरी
शामों को
चाँद की
गैर मौजूदगी में
रौशन कर रहे हों
जुगनू तमाम ,
मेरे जीवन का
वही चिराग़ हो तुम.
जैसे बसन्त की
एक बून्द
बुझा देती है
पपीहों की
उम्र भर की तिश्नगी
मेरे जीवन की
वही ओस हो तुम.
जैसे बना देते हैं
विशाल नदी
मिलकर छोटे-छोटे से
झरने तमाम,
मेरे जीवन की
वही धारा हो तुम.
Written by
Ankit Dubey
20/M/New Delhi
(20/M/New Delhi)
Follow
😀
😂
😍
😊
😌
🤯
🤓
💪
🤔
😕
😨
🤤
🙁
😢
😭
🤬
0
161
Kanishka
Please
log in
to view and add comments on poems