रोज सुबह मेरे घर के पिछवाड़े खेजड़ी पर कई तोते होते हैं सुबह छ: बजे ही मुझे अपनी चहचहाट से जगाते हैं जब मैं चुग्गा ले कर जाता हूं शोर मचाने लगते हैं और आसपास मंडराने लगते हैं कोई भी तोता अकेला चुग्गे पर चुपचाप नहीं आता है हमेशा समूह में ही आते हैं समूह में ही खाते हैं यह देख मुझे मनुष्य पर बेहद शर्मिंदगी होती है वाह रे मनुष्य! तू कितना संकीर्ण और स्वार्थी है जो खुद सब को गिरा कर अकेला ही हड़पना चाहता है।