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Mar 2019
दिल में खंजर चुभता है
जब झूठों से बतियाते हैं
मुलाकात जब आगे बढ़ जाती है
शनि का न्योता आता है
और कई भस्मासुर उत्प्रेरक बन जाते हैं
फिर विनाश किश्तों-किश्तों में आता है
उत्प्रेरक अलग हो जाते हैं
और समय लीलने लगता है
विनाश के निशान पीढ़ियों पर रह जाते हैं
बेहतर है झूठों से पीछा छुड़ाओ
कीमत जो चाहे लूटा़ओ
मुमकिन है उस पार आशा किरण हो
या फिर बेचैनी का अंत तो हो।
Mohan Jaipuri
Written by
Mohan Jaipuri  60/M/India
(60/M/India)   
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