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Armin Dutia Motashaw
Poems
Mar 2019
लंबी रात
लंबी रात
बड़ी लम्बी और तन्हा लगती है यह रात;
जब जब पिया मोरे, नहीं होते हैं मेरे साथ ।
बहार गई, मुरझाए फूल, अब तो अाई बरसात
सावन आया, झूले पड़े, पर पिया नहीं मेरे साथ
बिरहन को तड़पाना; पिया, यह क्या हुई बात !
चाहूं मै जीवन भर सुनूं, तोरी मुरलिया, रहूं तेरे साथ
पिया यु न तड़पाओ, यू न तरसाओ; छोड़ो न साथ
चांद को चांदनी पुकारे, राधा कहे कान्हा पकड़ लो मेरा हाथ
छोड़ो न यू अकेली, बड़ी लम्बी है बिरहा की यह रात ।
Armin Dutia Motashaw
Written by
Armin Dutia Motashaw
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