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Armin Dutia Motashaw
Poems
Jan 2019
दीदार
दीदार
जब होते हैं चर्चे प्यार पर,
नाम एक ही आता है लब पर ।
प्रीतम मेरे, यहां तो, शमा खुद मरती है, अपने परवाने पर ।
तस्वीर तेरी बसा लि है हमने, दिल में, जिगर में ।
अब तो आंखे जागते भी, देखती है तेरे ही सपने दिन में ।
दुख तो है इस बात का, दिखता नहीं है मुझे प्यार इनमें ।
जैसे आंखे है दीवानी मेरी, काश आंखे होती, दीवानी तेरी;
तो देख सकती थी मै भी वोह प्यार; बदल जाती किस्मत मेरी ।
अब तो यह बूढ़ी हो गई है, दिखता है धुंधला सब
न जाने, यह बंध हो जाए कब, मुझे मौत आए कब
चाहत है, तमन्ना है, तेरे दीदार की, तड़प है तेरे प्यार की।
आ जा, आ भी जा, करू तेरे दीदार, देखूं राह तेरे स्वीकार की ।
Armin Dutia Motashaw
Written by
Armin Dutia Motashaw
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