दूर तक चलने वाली एक रवायत है तुझ में, टूटी हुई बेसहारा लोगों की आशाएं हैं तुझ में। वादियों में गुंजायमान बुलंद आवाज है तुझ में, सर्दी-गर्मी-वर्षा में न रुकने का संदेश है तुझ में। कई चाहे और अनचाहे किरदार हैं तुझ में।। नए फन और कर्तब के जज्बे हैं तुझ में, लुप्त होती परोपकारिता का अक्ष है तुझ में। गरीब-अमीर सबके लिए समानता है तुझ में, कई बस्ती ,कई कस्बे ,कई बाजार हैं तुझ में। कई चाहे और अनचाहे किरदार हैं तुझ में।। प्रकृति से अद्भुत जुड़ाव है तुझ में, कई काफिले कई संसार है तुझ में। एक ख्वाहिश अभी भी ज्वलंत है तुझ में, वरना तन्हाई का भाव ना आता मन में। कई चाहे और अनचाहे किरदार है तुझ में।।