चलो आज उन वीर शहीदों के नाम एक पयाम करते है, जो हो गए कुर्बान हमारे लिए उन्हें दिल से सलाम करते है, कैसे चुकाएंगे हम कर्ज़ उन वीर जवानों का , जो ख़ुद सीने पर गोलियां खाकर इस वतन का नाम करते है,
लफ्ज़ छोटे पड़ जाते उनकी बहादुरी के बखान के लिए, न धर्म न जाति होती उनकी, जीते है सिर्फ वतन के मान के लिए, जो कड़ी धूप हो या हो सियाचिन की कड़कड़ाती ठंडी सीना तान रहते हमेशा तैयार सिर्फ हमारी जान के लिए,
हम कभी हिन्दू तो कभी मुसलमान करते है, जाति धर्म के नाम पर झगड़े सुबह-शाम करते है, चलो आज मिटा दो इस भेदभाव को ताउम्र के लिए, पकड़ कर हाथ एक दूसरे का इस तिरंगे का नाम करते हैं....