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Jul 2018
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जह़न के किसी कोने में पोशीदा
मुसल्सल दिल-ओ-दिमाग़ में
पेवस्त हिज्र-ओ-वस्ल
से बावस्ता उनकी
यादें मिरे रूबरु
चली आई...

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दिल-ए-बरहम में
दामिनी सी वो चमक
तेज धड़कन में उमडती
घुमडती घटाओं की धमक
भीगे जज़्बात के इस मौसम में
बेसाख़्ता-ओ-बेसबब
ना जाने क्यूँ  आँखे
भर आई...

◆◆◆

उदास तन्हा से
ये शाम-ओ-सहर।
जिन्दग़ी कैसे कटे
कहो अब कैसे हो बसर।।
निबाहें चलों दस्तूर-ए-जुदाई।
फ़िर से करें जिक्र-ए-बेवफ़ाई...

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©deovrat 31-07-2018
Deovrat Sharma
Written by
Deovrat Sharma  58/M/Noida, INDIA
(58/M/Noida, INDIA)   
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     Jayantee Khare and Deovrat Sharma
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