हार गया हूं मैं खुद को जताते जताते, खो दिया हमने सबकुछ खुद को पाते पाते,
मुश्किल था उस कल से निकलना आपसे प्यार कर आगे बढ़ना, आज थक गया हूं मैं खुद का दर्द छुपाते छुपाते, कहाँ चले गए वो पल जो कल तक थे आते जाते,
ज़िन्दगी से खेलना हमें भी पसंद था, मेरी ज़िन्दगी में गम शायद थोड़ा कम था, बन गया हूं बुरा मैं खुद को सही बताते बताते, वो होठ भी सिमट गए आज झूठी मुस्कान दिखाते दिखाते,
गुमनाम होता जा रहा मैं दिल को सहलाते सहलाते कहाँ चले गए वो पल जो कल तक थे आते जाते,
मुस्कुराना भी सिख लिया था, दर्द छुपाना भी सिख लिया था, पर आज फिर गम की गलियों में चला गया गम को भुलाते भुलाते, बन गया हूं बुरा मैं खुद को सही बताते बताते,
खुद से नफ़रत सी होने लगी मुझे, कुछ टूटने की भनक सी लगी मुझे, झुक गयी है ये नज़रे मेरी, खुद से आँख मिलाते मिलाते, थक गया हूं मैं खुद का दर्द छुपाते छुपाते.....:(