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Jun 2018
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बेग़रज़ मुहब्बत के,
*मुख़तलिफ़ उसूल होते हैं। (अल़ग)

वो जो भी फै़सले करें
मुसलसल कब़ूल होते हैं।।
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इस कैफ़ियत की चाहत,
गोया कि *अल-वाहिय़त।(आलौकिक होना)

इसको ना इश़्क कहिये
यें ही सच्ची इब़ादतें हैं।।
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©deovrat 23-06-2018
Deovrat Sharma
Written by
Deovrat Sharma  58/M/Noida, INDIA
(58/M/Noida, INDIA)   
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     Jayantee Khare and Deovrat Sharma
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