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May 2018
अंजान बने , खामोश सब सहते रहे ।
शायद मेरे अश्कों से सुकून नसीब हो उन्हें ,
ये सोच बेपनाह वो पलकों से बहते रहे ।
वो खंजर से रूह जख्मी कर रहे मेरी ,
हम हार कर दुनियाँ को देख हसते रहे....
Bhakti
Written by
Bhakti  26/F/India,Indore
(26/F/India,Indore)   
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