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Deovrat Sharma
Poems
Apr 2018
स्वपन सलोना
...
सिनिग्ध चाँदनी बरस थी
धरती और गगन में !
चाँदी जैसा अंबर दिखता
नादिया की कल कल में !!
~~~
मन की वीणा पर था जैसे
सप्त सुरों का वादन !
कंठ स्वरों नें बरबस छेड़ा
मधुर मिलन का गायन !!
~~~
मन्थर मंद मलय के झोंके
ख़ुशबू जैसे चन्दन !
सारा उपवन महक उठा
तब जैसे नन्दन कानन !!
~~~
वो मनमीत, अतीत से
आकर बैठा सन्मुख मेरे !
स्वपन सलोना रहे सनातन
जब तक है यह जीवन !!
...
(c) deovrat-12.04.2018
Written by
Deovrat Sharma
58/M/Noida, INDIA
(58/M/Noida, INDIA)
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