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Mar 2018
चलो जल्दी
तुम तो डूबे मुसाफ़िर हो
कस्ती को मत डूबने दो

उस पार
इस पार
नदी से बातें करता

मैं एक मदिरा
चला एक प्याला लेने
फिर से एक बार उसे याद ए दर्द में देखा
तो ज़ाम खली थी


सूखे मन में डूबती ख्वाहिशें
बेपरवाह जगह जाते ही।।
कदम में आहाट सी मीठास

और
कांच टूटा शाराबी दिल ए बेवफ़ाई में झूठा।।।
अवारा ।।।बावरा दिल ए चुप्पी।।।
खामोशिया ए मदहोशी।।।
।।।।
Ravindra Kumar Nayak
Written by
Ravindra Kumar Nayak  30/M/India
(30/M/India)   
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   Bhakti and Shobhit
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