कोई खुशी तो कोई गम के सहारे जीते है, कोई इन अश्क़ों को जाम की तरह पीते है, हमें तो आदत थी मुस्कुराने की पर कुछ लोग ज़ख्म देकर इसे भी छीन लेते है।
दिल ये मेरा अब गुमनाम सा हो गया है, ज़ख्मो की गलियों में बेनाम सा हो गया है, कल तक जो धड़कता था किसी के लिए आज ख़ुद से भी अनजान सा हो गया है।
रोता है दिल जब अपना तो मना लेते है, बेरहमी भरी दुनिया से इसे छुपा लेते है, जब बन्द नही होती ये प्यासी निगाहें किसी की याद में ही पूरी रात बिता देते है।