यूँ मौत सी वो शाम थी, वो शाम जो उदास है, अकेलेपन का बोझ था, कोई ना जो यूँ साथ है, पड़ी जो तुम पर रोशनी, अंधेरा कुछ तो मिट गया, चले जो हम ना फिर रुके, कोहरा दिल में था जो छट गया, गुस्से में तुम जो कुछ कहो, सुनू मैं हर एक बात को, खिसक जो वो एक लट गिरे तुम्हारी आँखों पे, मैं क्या कहूँ मैं क्या करूँ, ये दिल जवाब दे गया, अब ढूँढे दिल जगह-जगह, उस रोशनी का ना है पता, खुदी से अब यह पूछूँ बस, गयी हो तुम या मैं मरा, यूँ मौत सी ये शाम है, ये शाम जो उदास है, खुदी को खोके अब मुझे, खुदी की अब तलाश है.