ऐ साकी, ज़रा इस महफ़िल में पैमाने जाम तो दे, थकी है तेरी रूह भी अब तो, इसको कुछ आराम तो दे। ऐ साकी, ज़रा इस महफ़िल में पैमाने जाम तो दे,
रुत्बा-ए-महफ़िल है, लम्हों की सरगोशी है, आज इस हवा में अजब सी मदहोशी है, तू इन मदहोश हवाओं को तूफ़ानी अंजाम तो दे, ऐ साकी, ज़रा इस महफ़िल में पैमाने जाम तो दे।