Submit your work, meet writers and drop the ads. Become a member
Mar 2015
...
खुदा ना सही ..
दोस्त बनाए रखना....
नज़रों में ना सही ..
दिल में बनाए रखना ...


वक्ते कब्ल कुछ लफ्ज़ मिले है मुझको..
वें किताबों में नही.. दिल में बनाए रखना..
तेरी खुश्बू जो हवाओं में महक जाती है ...
इसी महक को फ़िज़ाओं में बनाए रखना....


मेरे  चंद अशआर,  तुम्हारे मौज़ू हैं..
इन अल्फाजों को ना यूँ बेकार में जाया करना...
तेरी मोज़ूद्गी मुझ पे ना कयामत ढाए...
ऐसा कुछ कर ..की मेरे होश बचाए रखना...


ना तो ज़जबातों पे ना काबू है ना ही दिल पर..
हां तेरी ज़ुलफ के खमो पेंच में उलझाए रखना...
ये चन्द अलफ्ज़ नही.....खामोशी का अफ़साना है...
इन्हे हर पल सीने से लगाए रखना ...


       *deovrat 02.03. 2015 (c)
Deovrat Sharma
Written by
Deovrat Sharma  58/M/Noida, INDIA
(58/M/Noida, INDIA)   
440
     Deovrat Sharma and Jayantee Khare
Please log in to view and add comments on poems