Submit your work, meet writers and drop the ads. Become a member
 
Shrivastva MK Jul 2018
ऐ मेरे साथिया ज़िन्दगी के रंगमंच का पूरा सफ़र बाकी है,
दर्द की बातें बहुत हुई बस प्यार का थोड़ा असर बाकी है,

एक छोटे से घर मे गम मिला तो क्या हुआ,
देखने के लिए तो अभी पूरा शहर बाकी है,

आप क्यों रोते हो हर छोटी छोटी बातों पर,
अभी तो मेरे ज़ज्बातों का पूरा कसर बाकी है,

बस थोड़ी सी पी थी हमने जाम प्यार का,
अभी तो प्याली मे रखी पूरी ज़हर बाकी है,

कौन कहता है लोगों से तबाह हो गई मेरी ज़िन्दगी,
सब्र कर पगले अभी तो कुदरत का पूरा क़हर बाकी है,

पलभर के दर्द से क्यों होते हो परेशान साहब,
अरे खुशी के लिए तो अभी पूरा पहर बाकी है,
पूरा पहर बाकी है........
Shrivastva MK Jul 2018
ज़िन्दगी का मतलब बस कुछ लोग ही समझ पाते है,
जिससे मोहब्बत होती साहब वही दर्द दे जाते है,
कभी छुपी होती है मीठी बातों में गहरे राज,
और कभी सबकुछ जानते हुए भी हम अनजान रह जाते है,

विश्वास की डोर उस वक़्त कमजोर पड़ जाते हैं,
जब कोई इंसान शक के दायरे में आ जाते है,
कभी वर्षो लग जाते है इस विश्वास को बनाने मे,
और कभी कुछ लोग पलभर में इसे तोड़ जाते हैं,

कोई रुलाकर जाते है तो कोई हँसाकर जाते है,
कोई अपना बन इस दिल को दुखाकर जाते हैं,
वो मनीष तो कब का खो गया हैं खामोशियों की गलियों में,
कोई इसे नासमझ तो कोई इसे हमारी मज़बूरी बता जाते है।
Shrivastva MK Jul 2018
हम रोते रह गए उनके सामने और वो मुस्कुराकर चले गए,
हम प्यार करते गए बेइन्तहां उनसे और वो दिल दुखाकर चले गए,

ज़िन्दगी को जीना अभी सिख ही रहा था मैं,
और वो खूबसूरत ज़िन्दगी में आकर चले गए,

जो आँखे हमेशा खुश देखना चाहती थी उनको,
उन्हीं तरसती आँखों को वो रुलाकर चले गए,

मुन्तज़िर था जिस पल का मैं वर्षो से साहब,
उस पल से पहले ही वो सबकुछ भुला कर चले गए,

बेहद खूबसूरत ख़्वाब सजाये थे हमने उनके लिए,
पर वो पलभर में सारे ख़्वाब जला कर चले गए,

वो लफ्ज़ जिससे इन कानो को कभी बेहद सुकूँ मिलता था,
उन्ही लफ्ज़ों से हमें बेवफ़ा बना कर चले गए,

खुद से ज्यादा प्यार था इस दिल में उनके लिए,
पर उस प्यार को वो अधूरा बना कर चले गए,

दिल तो आज भी रोता है उन पलों को यादकर,
और वो इस नादां दिल को दर्द-ए-मंज़र बना कर चले गए,
हमें रुलाकर चले गए....
.
मनीष

based on imagination....
Shrivastva MK Jul 2018
ये बेरंग ज़िन्दगी इतनी आसान ना होती,
यदि आपका अहसास मेरे साथ ना होती,

मायूशी में मुस्कुराना तो हमे आपसे आया है,
आपको पाया जैसे हमने उस खुदा को पाया है,

दिल से जुड़े रिश्ते शायद इसलिए बेहद ख़ास होते है,
क्योंकि ऐसे रिश्ते में एक अटूट विश्वास होते है,

जिन रिश्तों में विश्वास नही होते वो रिश्ते अक्सर टूट जाते है,
चलें जाते जब दूर हम,तब हमारी अहमियत समझ आते है,

जब हमारे जज़बात एक दूसरे से जुड़ जाते है,
बिन कहे ही इस दिल की बात उस दिल तक पहुँच जाते है,

ऐ ख़ुदा मेरी हर खुशी उनके नाम कर दे,
उनके लबों पर मीठी मुस्कान कर दे,

जन्नत से भी खूबसूरत है ये अनमोल रिश्ता हमारा,
ऐ मेरे रब सलामत रखना हमेशा ये दोस्ताना हमारा....


Dedicated to my dearest frd....
Shrivastva MK Jul 2018
आज के बच्चे घर के संस्कारों में कहाँ पड़ते है,
सुबह उठते ही चलो एक Selfie पोस्ट करते है,

आज online के चक्कर मे हम अपनो को भूलते जा रहे,
Whatsapp/facebook को ही हम अपना बता रहे,

संस्कारिक ज्ञान तो जैसे ओझल हो गए,
Whatsapp/fb पर आज हम खुद ज्ञानी हो गए,

दिनभर online रहना और अच्छे अच्छे पोस्ट करने में क्या जाता है,
और जब बात अमल की हो तो वो उपदेश हमे कहाँ समझ आता है,

वो पुराने group वाले फ़ोटो तो जैसा गायब ही हो गया,
Selfie के चक्कर मे इंसान कितना स्वार्थी हो गया,

Last seen और status को ही अपनी ज़िन्दगी बता रहे,
Whatsapp/fb पर online होकर खुद को busy बता रहे,

"11 लोगों को भेजो तो मनोकामनाये पूर्ण हो जाएंगी" और गंदी पोस्ट को खूब शेयर किये जाते है,
खुद हरपल हरवक्त हरदिन बनते है बेवकूफ़ और अपने आप को group admin बताते है,


कभी हमारे पूर्वज गुरुकुल में पढ़ते और हमारा देश विश्वगुरु कहलाता,
आज हमारे बच्चे कान्वेंट स्कूलों में पढ़ते और हमारा देश सबसे पीछे है आता.....
वक़्त की अहमियत को समझिये...
Shrivastva MK Jul 2018
साहब वक़्त की बंदिश भी बड़ी अजीब होती है,
जिसकी जरूरत होती,उससे दूरियाँ ही नसीब होती है,

डर लगता है कि कहीं ये वक़्त हमें मजबूर ना कर दे,
हमारे सपनें तोड़ कहीं एक दूसरे से हमें दूर ना कर दे,

आपसे दूर होकर ऐ मेरे हमसफ़र हम हमेशा के लिए टूट जाएंगे,
इस वक़्त को कैसे समझाऊ,की बिन साँसे भला हम कैसे जी पाएंगे,

अक़्सर दो प्यार करने वालो से ही ये वक़्त खफ़ा हो जाता है,
हम उनके बिना नही रह सकते है,ये वक़्त कहाँ समझ पाता है,

एक कदम चलना उस वक़्त बेहद मुश्किल हो जाता है,
जब आपका हमसफ़र आपसे रूठ साथ छोड़ जाता है,

नदी और लहरें भी क्या खूब दोस्ती निभाते है,
नदियाँ चुपचाप बहती और लहरें रास्ता बनाते है,

एक दिन वक़्त से हमनें भी पूछा आखिर आप पलभर में क्यों बदल जाते हैं,
वक़्त ने बड़ा ही खूबसूरत जवाब दिया,हम तो सिर्फ इंसान को हर परिस्थिति में जीना सिखाते है,


...........जय माता दी............

मायने ये नही रखता की कब परिस्थितियां बदल जाए, मायने तो ये रखता है कि हम हरेक परिस्थिति में सँभल जाए
       मनीष श्रीवास्तव.......✍
Shrivastva MK Jun 2018
जब था ही मुझे रुलाना तो फिर हँसाने की जरूरत क्या थी,
धकेलना था गम के सागर में तो फिर प्यार जताने की जरूरत क्या थी,
जब पता था तुम्हे कि आएंगी आँधि मेरे जीवन में,
तो फिर इस ज़िन्दगी में वो बाग लगाने की जरूरत क्या थी,

जब थे हम इतने बुरे तो मुझपे हक़ जताने की जरूरत क्या थी,
हमने तो आज तक वफ़ा की ही नही,फिर मुझे बेवफा बताने की जरूरत क्या थी,
हमने तो अपना एक भी वादा नही किया था पूरा फिर,
वो हजार वादे और कसमें खाने की जरूरत क्या थी,

हम तो थे ही गिरे फिर इन आँखों से नजरें मिलाने की जरूरत क्या थी,
हमारा दिल तो बहुत बुरा था,फिर हमसे दिल लगाने की जरूरत क्या थी,
हमारे लफ्ज़ जब इतने बुरे थे तुम्हारे लिए फिर,
फिर इन लफ्ज़ों में वो बात जताने की जरूरत क्या थी....
#170HP Poems
Next page