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Shrivastva MK Jul 2018
आज के बच्चे घर के संस्कारों में कहाँ पड़ते है,
सुबह उठते ही चलो एक Selfie पोस्ट करते है,

आज online के चक्कर मे हम अपनो को भूलते जा रहे,
Whatsapp/facebook को ही हम अपना बता रहे,

संस्कारिक ज्ञान तो जैसे ओझल हो गए,
Whatsapp/fb पर आज हम खुद ज्ञानी हो गए,

दिनभर online रहना और अच्छे अच्छे पोस्ट करने में क्या जाता है,
और जब बात अमल की हो तो वो उपदेश हमे कहाँ समझ आता है,

वो पुराने group वाले फ़ोटो तो जैसा गायब ही हो गया,
Selfie के चक्कर मे इंसान कितना स्वार्थी हो गया,

Last seen और status को ही अपनी ज़िन्दगी बता रहे,
Whatsapp/fb पर online होकर खुद को busy बता रहे,

"11 लोगों को भेजो तो मनोकामनाये पूर्ण हो जाएंगी" और गंदी पोस्ट को खूब शेयर किये जाते है,
खुद हरपल हरवक्त हरदिन बनते है बेवकूफ़ और अपने आप को group admin बताते है,


कभी हमारे पूर्वज गुरुकुल में पढ़ते और हमारा देश विश्वगुरु कहलाता,
आज हमारे बच्चे कान्वेंट स्कूलों में पढ़ते और हमारा देश सबसे पीछे है आता.....
वक़्त की अहमियत को समझिये...
Shrivastva MK Jul 2018
साहब वक़्त की बंदिश भी बड़ी अजीब होती है,
जिसकी जरूरत होती,उससे दूरियाँ ही नसीब होती है,

डर लगता है कि कहीं ये वक़्त हमें मजबूर ना कर दे,
हमारे सपनें तोड़ कहीं एक दूसरे से हमें दूर ना कर दे,

आपसे दूर होकर ऐ मेरे हमसफ़र हम हमेशा के लिए टूट जाएंगे,
इस वक़्त को कैसे समझाऊ,की बिन साँसे भला हम कैसे जी पाएंगे,

अक़्सर दो प्यार करने वालो से ही ये वक़्त खफ़ा हो जाता है,
हम उनके बिना नही रह सकते है,ये वक़्त कहाँ समझ पाता है,

एक कदम चलना उस वक़्त बेहद मुश्किल हो जाता है,
जब आपका हमसफ़र आपसे रूठ साथ छोड़ जाता है,

नदी और लहरें भी क्या खूब दोस्ती निभाते है,
नदियाँ चुपचाप बहती और लहरें रास्ता बनाते है,

एक दिन वक़्त से हमनें भी पूछा आखिर आप पलभर में क्यों बदल जाते हैं,
वक़्त ने बड़ा ही खूबसूरत जवाब दिया,हम तो सिर्फ इंसान को हर परिस्थिति में जीना सिखाते है,


...........जय माता दी............

मायने ये नही रखता की कब परिस्थितियां बदल जाए, मायने तो ये रखता है कि हम हरेक परिस्थिति में सँभल जाए
       मनीष श्रीवास्तव.......✍
Shrivastva MK Jun 2018
जब था ही मुझे रुलाना तो फिर हँसाने की जरूरत क्या थी,
धकेलना था गम के सागर में तो फिर प्यार जताने की जरूरत क्या थी,
जब पता था तुम्हे कि आएंगी आँधि मेरे जीवन में,
तो फिर इस ज़िन्दगी में वो बाग लगाने की जरूरत क्या थी,

जब थे हम इतने बुरे तो मुझपे हक़ जताने की जरूरत क्या थी,
हमने तो आज तक वफ़ा की ही नही,फिर मुझे बेवफा बताने की जरूरत क्या थी,
हमने तो अपना एक भी वादा नही किया था पूरा फिर,
वो हजार वादे और कसमें खाने की जरूरत क्या थी,

हम तो थे ही गिरे फिर इन आँखों से नजरें मिलाने की जरूरत क्या थी,
हमारा दिल तो बहुत बुरा था,फिर हमसे दिल लगाने की जरूरत क्या थी,
हमारे लफ्ज़ जब इतने बुरे थे तुम्हारे लिए फिर,
फिर इन लफ्ज़ों में वो बात जताने की जरूरत क्या थी....
#170HP Poems
Shrivastva MK Jun 2018
लिखें क्या वक़्त का तकाज़ा है,
दर्द काल भी था आज भी ताज़ा है,
लेखक की दुनिया भी है अजीब,
आँसुओ की स्याही के है हम करीब,

चंद शब्दों को सजा एक अलग दुनिया है बनाते,
लेखक होठों से नही इस स्याही से प्यार है जताते,
शब्दों को तरासने की कला बखूबी जानते है,
ये समुन्दर में छुपी मोती को भी पहचान लेते है,

हवाओं से लिपटी सिसकियां,
करती है दर्द हमारा बयां,
कागज़ पर हमने भी ज़िन्दगी लिखी,
अश्क़ों से आपकी खुशी की दुआ की,

ज़िन्दगी का मतलब तो ये लेखक ही सीखाते,
प्यार का खूबसूरत परिभाषा है बनाते,
एक शब्द के हज़ार मतलब बता जाते है,
अल्फ़ाज़ों के साथ जीना सीखा जाते है,

कहदे दर्द-ए-दिल की दास्तान भी अपनी ही आह,
पर सुननी पड़ती है लोगों की वाह वाह,
चलते है अंगारो पर
मुस्कान की चादर ओढ़कर,

मुस्कुराना हमारी मज़बूरी होता है,
पर दुनिया के लिए शायद ये जरूरी होता है,
लोग कहाँ समझ पाते है दर्द उस कलम का,
जिसमे छुपा है राज़ जीवन-मरण का,

कलम में बसती है लेखक की जान,
वही समझे उसकी पहचान,
जीने का सहारा है कलम,
दर्द में बनती है मरहम,

जब दर्द बेहद गहरे हो जाते है,
जब इन आँखों में सिर्फ अश्क़ों के पहरे रह जाते है,
तब लेखक अपनी कलम है उठाते,
अपने दर्दों को अपने स्याही से है सजाते.....
hellopoetry.com/SoniaParuthi
Shrivastva MK Jun 2018
दिल नही
विश्वास टूट जाते है,
वादे नही
जज़्बात टूट जाते है,

इंसान नही
वो पल रुठ जाते है,
प्यार नही
बस लोग बदल जाते है,

समय नही
हमारे तरीके बदल जाते है,
आँखें नही
नज़ारे बदल जाते है

सोच नही
विचार बदल जाते है,
कुल नही
कारनामे बदल जाते है,

आंखों की गुस्ताखी से
ये दिल बदनाम हो जाते है,
जब चले जाते दूर
तब हमारी अहमियत समझ आते है,

ईश्वर नही
प्रार्थनाएं बदल जाते है,
खुदा ने सिर्फ इंसान बनाया
पर यहाँ जाति और धर्म बनाये जाते है.....
Shrivastva MK Jun 2018
हार गया हूं मैं
खुद को जताते जताते,
खो दिया हमने सबकुछ
खुद को पाते पाते,

मुश्किल था उस कल से निकलना
आपसे प्यार कर आगे बढ़ना,
आज थक गया हूं मैं
खुद का दर्द छुपाते छुपाते,
कहाँ चले गए वो पल
जो कल तक थे आते जाते,

ज़िन्दगी से खेलना हमें भी पसंद था,
मेरी ज़िन्दगी में गम शायद थोड़ा कम था,
बन गया हूं  बुरा मैं
खुद को सही बताते बताते,
वो होठ भी सिमट गए आज
झूठी मुस्कान दिखाते दिखाते,

गुमनाम होता जा रहा मैं
दिल को सहलाते सहलाते
कहाँ चले गए वो पल
जो कल तक थे आते जाते,

मुस्कुराना भी सिख लिया था,
दर्द छुपाना भी सिख लिया था,
पर आज फिर गम की गलियों में चला गया
गम को भुलाते भुलाते,
बन गया हूं बुरा मैं
खुद को सही बताते बताते,

खुद से नफ़रत सी होने लगी मुझे,
कुछ टूटने की भनक सी लगी मुझे,
झुक गयी है ये नज़रे मेरी,
खुद से आँख मिलाते मिलाते,
थक गया हूं मैं
खुद का दर्द छुपाते छुपाते.....:(
Shrivastva MK Jun 2018
हमे आपसे कुछ इस क़दर मोहब्बत हुई है,
ये आँखें भी आपकी याद में नम हो गई है,

ज़िन्दगी का हरेक पल आपके नाम कर दूँ,
आपके प्यार में खुद को कहीं बदनाम न कर दूँ,

मुश्किल होता है आपको एक पल के लिए भूल जाना,
बेहद खुशी देती है हमे आपका यू खुलकर मुस्कुराना,

इन लबों पे एक छोटी सी मुस्कान सिर्फ आपसे है,
दिल मे जगी मोहब्बत की दास्तान सिर्फ आपसे है,

हाथ थामा है आपका तो मर के भी साथ  निभाएंगे,
आपके लिए हमसफर हर गम खुशी खुशी सह जाएंगे,

आपको पाना उस ख़ुदा को पाने से कम नही ,
आप हो साथ हमदर्द ज़िन्दगी में कोई गम नही ,

इश्क़ और अश्क़ की दोस्ती  बहुत खास है,
इश्क़ हो अश्क़ों का बहना आँखों का विश्वास है,

दिल का टूट जाना तो सबको नसीब होता  है
टूटकर संवर जाना किसी ख़ास को नसीब होता है,

आपको खोने का डर तो हमे हमेशा सताता है,
एक पल भी भूल जाना गुजरे पल याद दिलाता है,

यही वजह है जो आपको एक पल भी नही भूल पाते,
जब भी कोई पूछता हमसे इतना मुस्कुराते क्यों हो?,
हम भी इसके पीछे किसी खास की याद को बता जाते....
थोड़ा सा चन्दन केसर सिन्दूर माथे पे तिलक है सजाते
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